Thursday, December 1, 2016


ये स्वतंत्र भारत के के विकसित देश के बहस के मुद्दे
👉🏻राम मंदिर
👉🏻लव जिहाद👉🏻घर वापस👉🏻गौ मांस 👉🏻गौ रक्षा
👉🏻सहिष्णुता👉🏻असहिष्णुता
👉देशप्रेमी  👉देशद्रोही
👉🏻शाहरुख़ खान 👉🏻आमिर खान 👉🏻सलमान खान
👉🏻कन्हैया👉 रोहित वेमुला 👉जेएनयू  👉🏻नजीब
 👉🏻भारत माता की जय👉🏻वन्दे मातरम्
👉🏻कश्मीर 👉 उरी   पठानकोट   नगरोटा   👉
👉🏻तलाक व परसनल ला कानुन
👉🏻 ५०० व १००० की करंसी बंद  👉सोना रखने की  सीमा
नोट बदली  नोट बंदी। ..... चोट दी खोट दी
कितने आदमी का रोजगार ले डूबी  ??  कितने फैक्टरिया बंद  कितनी ९०% बंद  कितनी ८०% बंद 

 👉🏻इन सभी ऐतिहासिक कारनामों ने
 पूरे तीन साल मीडिया को व्यस्त रख कर आम आदमी के बुनियादी सवालों को गायब कर दिया गया !
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          अब ज़रा गौर करो

👉🏻 क्या इन तीन सालों मेंकभी
 आपने टीवी पर सरकारी शिक्षा के गिरते स्तर पर बहस देखीं हैं?
  बाल विवाह की समस्या पर "एक्सपर्ट्स की कोई टीम टीवी पर देखी है?
 आपको सड़को पर भीख मांगते और भूख से बिलखते बच्चों के पीछे लगा कोई मीडिया कैमरा देखा है?
 नालों फुटपाथों पर जिंदगी को कूडे के ढेर की तरह ढोते हुए लोगों के लिए किसी को चिल्लाते हुए देखा है?
 आपने आत्महत्या करते किसानों के बारे में किसी को सहानुभूति जताते हुए देखा है?
 आपने बेरोजगारी की मार झेल रहे नौजवानों के हक में किसी को बात करते हुए देखा है?
 आपने कुपोषण से शिकार महिलाओं एवं बच्चों के लिए क्या किया जाए जिससे ये कमी दूर हो सके इस पर बात होते हुए सुना है ?
 हायर एजुकेशन वाले बच्चों के स्कॉलरशिप के बारे में कोई बहस होते हुए सुना है ?जिससे गरीब बच्चों को सहायता मिल सके?
 आपने मीडिया में जेलों में बंद बेगुनाह नौजवानों की रिहाई के बारे में बहस करते हुए देखा है?
👉🏻मीडिया को व्यर्थ के मुद्दों पर व्यस्त रख कर बहुत बड़े बड़े "कारनामे" किये जा रहे है और हमें इसकी भनक तक नहीं !
👉🏻 सर्जिकल स्ट्राइक"से जी भर गया हो तो अब नया शगूफा "समान नागरिक संहिता" तैयार है
👉🏻 कुछ सप्ताह तीन तलाक पर बहस करके अपने राष्ट्रवाद पर इतरा सकते हो तो ठीक है, अगर इस मुद्दे को ज्यादा ना चला सको तो फासीवाद की फेक्ट्री में अगला "एपिसोड" बनकर तैयार होगा।
👉🏻 आखिर हम कब तकइन मुद्दों पर चर्चा करते रहेंगे. जिस का देश और आम जनता को कोई फायदा नहीं।
👉🏻 आखिर हम कब तकअपनी नाकामी और काले कारनामों को छुपाने व देश का बंटवारा करने की साजिश रचने वालों का शिकार होते रहेंगे।
👉🏻 आखिर हम कब तक  एक  और एक पंधरा लाख वाले वादे का   जुमला सुन कर खुश होते रहेंगे।

          अच्छे दीन आने वाले है     भाड़ में जाये ऐसी सरकार⁠⁠⁠⁠

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