Thursday, November 17, 2016

बच्चे बुड्ढे जवान  जोशीले होशीले नशीले
    जरा तो भी ध्यान से पढ़ो .
देशभक्ति में केवल ५५ लोग शहीद हो गए है  
नोटों के लाइन में खड़े रहना मजबूरी है या जरूरत या देशप्रेम सोचो
जिनके पास लाखो है वो क्या लाइन में खड़े हो रहे है ????   सोचो  क्या हर नेता के पास ५००-१००० के नोट नहीं है ???


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ऱोज रोज .. आपकी  .मोदी, पवार,   गांधी परिवार,केजरीवाल मायावती ममता मुलायम   जैसे कोई  नेता आपको जनता तक नहीं पहचानता दूर  अगर आप उनके सक्रीय कार्यकर्त्ता हो तो भी जब पैसा पोस्ट पावर का सवाल आता है तब चमचो चापलूस की भर्ती आपके पहले होंगी
और आप क्या करते हो
 यिन लोगो में से किसीकी साइड लेकर लड़ते हो  कोई देशप्रेम जैसे कोई  शब्द लेकर  लेकिन किनसे
अपने दोस्त  रिश्तेदार घरेलु लोगो से   जब की यह नेता लोग आपके वकीली आपके चमचेगिरी आपके झगड़ालू कार्यक्रम को  जानते भी नहीं
और आप अपने दोस्ती का  रुपांतर अपने सम्बद्ध ख़राब करने पे होते है  मित्र दोस्त शत्रू बनता है.

आपके एक दोस्त आपके एक तथाकथित नेता को  महान नेताको नाम रखा तो आपको मिर्ची क्यों लगना ??  आपको गुस्सा क्यों आना ??  कारन क्या है गुस्सा आने का ??

जब आपको जरूरत होंगी तो यही  दोस्त भागके  मदत  करने आएंगे,  ये भागकर मदत करनेवाले दोस्त आपके ही होंगे
 आपके लिए  अच्छे या जो आपको जानते तक नहीं  ऐसे राजकीय नेते ?
आपके जन्मदिन पे शादियों पे  पार्टीयो पे , संकट की घडी में  
एक साथ दिन रात का हिसाब न करके भागते भागते आएंगे वो या नेता आएंगे ??   फेर देशप्रेम करो या दोस्त प्रेम


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