भारत की कुण्डली का गोचर + दशा + तथा केंद्र सरकार की शपथ की कुंडली अध्ययन करने के बाद ये ध्यान में आया
भारत की वृषभ लग्न की कुंडली को आनेवाला २५ जानेवारी से शनि का धनु राशि का भ्रमण आठवे स्थान से होनेवाला है येही शनी दशमेश भाग्येश होने के बाद अष्टम स्थान से भ्रमण कष्ट दायक, तथा अपकीर्तिदायक होने वाला है बदनामी होंगी। केवल गुरु की दृष्टी पंचम स्थान से लग्न पे शुभ है लेकिन वह भी राशि परिवर्तन करके मकर राशि में सात आठ महीनोंमें (अपने नीच राशि में ) जायेगा। लेकिन शनी अपनी पूर्ण दृष्टी से गुरु को देखता है,यह भी अशुभ ही है. चतुर्थ स्थान का राहु अपनी पूर्ण दृष्टी से शनी को भी देखेंगा यह भी अशुभ ही सूचक है।
वर्तमान महादशा स्वामी चंद्र शनि के नक्षत्र में स्थित है ३-४-१० ११ स्थान कार्येश होने की वजह से हाल ऊपर से ठीक दीखता है
मंगल की अंतरदशा चालू है मंगल राहु के नक्षत्र में होने से १२ वे भाव व्यय का नुकसान तुरुंग का पूर्ण कार्येशत्व बताता है.
१०-२-२०१७ तक मंगल के बाद राहु अंतर चालू होंगा वो परिस्थिति और कठीण कर देगा राहु इन्टरनेट से होने वाले अनेक फ्रॉड का संकेत देता है गोचर भ्रमण दशा फल भी अच्छा नहीं है। सरकार की शपथ की कुंडली में भी शुक्र दशा है ,वो भी ५-८-१२ स्थानों का पूर्ण कार्येशत्व बताना कुछ कही पे भी आशा की किरण नजर नहीं आती. सरकार अपने कार्य ढंग से ना पाएंगी और जनता में रोष अनेक बार दिखेंगा।
केवल चंद रुपये में पत्रकार की कुछ लालच देकर अछि खबर छपवाना कुछ कारगर साबित नहीं होंगे। आत्मप्रौढी खुद के गूंण गान के पाढ़े रचवाना बेकार ही जायेगा
जो दिखाते वो होता होता नहीं ....... होता है वो दीखता नहीं
राहु रवि के नक्षत्र में होकर ४-५-१२ का पार कार्येशत्व प्रदान करता है जो विरोधक लोगोको पूर्ण फायदेशीर साबित होनेवाला है सरकार को अस्थिर तक देगा जो १२-८ -२०१८ तक कठीण समय की परीक्षा का समय बताता है.
राजीव बोकरिया
ज्योतिष अभ्यासक