लाख टके की बात
आज के समय में सच्ची इज्जत किसकी होती है.?
इज्जत किसी इंसान की नहीं होती,
"जरुरत" की होती है...
इज्जत तो
"मतलब या स्वार्थ" से ही दी जाती है...
"पैसे" देखकर दी जाती है
पोस्ट पे रहनेवाले को दी जाती है
"जरुरत ख़त्म, तो... इज्जत ख़त्म""पैसा ख़त्म, तो... इज्जत ख़त्म"
"पोस्ट से जाओ .. इज्जत ख़त्म"
दुनिया में इज्जत केवल चापलूसी केवल और केवल स्वार्थ मतलब से की जाती है .....???
जय जिनेन्द्र सुब प्रभात आपका मंगलमय हो
संधि साधु लोग चापलूस चमचो से दूर रहे और अपना खुद का दिमाग खुद ही चलने की कोशिश हमेशा करे
राजीव बोकरिया Rajiv Bokariya
consultant in stocks estate and professional astrologer
आज के समय में सच्ची इज्जत किसकी होती है.?
इज्जत किसी इंसान की नहीं होती,
"जरुरत" की होती है...
इज्जत तो
"मतलब या स्वार्थ" से ही दी जाती है...
"पैसे" देखकर दी जाती है
पोस्ट पे रहनेवाले को दी जाती है
"जरुरत ख़त्म, तो... इज्जत ख़त्म""पैसा ख़त्म, तो... इज्जत ख़त्म"
"पोस्ट से जाओ .. इज्जत ख़त्म"
दुनिया में इज्जत केवल चापलूसी केवल और केवल स्वार्थ मतलब से की जाती है .....???
जय जिनेन्द्र सुब प्रभात आपका मंगलमय हो
संधि साधु लोग चापलूस चमचो से दूर रहे और अपना खुद का दिमाग खुद ही चलने की कोशिश हमेशा करे
राजीव बोकरिया Rajiv Bokariya
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